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गोवत्स द्वादशी  - चवला बारस - बछ बारस गोवत्स द्वादशी की कहानी

गोवत्स द्वादशी 
कार्तिक कृष्ण पक्ष की द्वादशी तिथि को गोवत्स द्वादशी के रूप में मनाया जाता है, धार्मिक मान्यतानुसार इस दिन गाय व बछड़े दोनों की पूजन का विधान है, मान्यतानुसार गौ माता के दर्शन मात्र से पुण्य की प्राप्ति होती है। देवी देवताओं एवं पितरों की एक साथ कृपा प्राप्त करनी हो तो गौ सेवा, गौ पूजा अवश्य करनी चाहिए।

भविष्य पुराण के अनुसार गौ माता के पृष्ठ भाग में ब्रह्मदेव का वास, गले में विष्णु देव का,मुख्य में शिवजी का, मध्य में समस्त देवी देवताओं और रोम कूपो में महर्षि गण, पूछ में अनंतनाग, खुरो में समस्त पर्वतों का, गोमूत्र में नदियों का,गौमय में श्री का और नेत्रों में सूर्य चंद्र का वास होता है। अर्थात गाय माता में सभी देवी देवताओं का वास होता है। गौ पूजन से भगवान श्री कृष्ण की अपार कृपा प्राप्त होती है। गौ पूजन से शुभता का संचार होता है। इस दिन गाय व बछड़े के चरण को शुद्ध जल से स्नान कराकर उन्हें तिलक करें, पीले वस्त्र अर्पित करें गुड़ चना चौला,ज्वार की रोटी का भोग लगाये। गाय व बछड़े की आरती करें इस दिन गाय से बनी हुई  पदार्थों का सेवन ना करें। इस दिन गोमूत्र से घर को शुद्ध करें, व घर के आंगन में गाय के गोबर से लेप करे व रंगोली बनावे। अगर कहीं गाय या बछडा ना मिले तो घर पर मिट्टी या मूर्ति की पूजा कर सकते हैं।

1 नवंबर 2021 
कृष्ण पक्ष,
तिथी- एकादशी/ द्वादशी 
एकादशी तिथि  1:21 p.m. तक रहेगी ।
सूर्य उदय- 6:33 a.m.
सूर्यास्त -5:36 p.m.
शक संवत- 1943 
विक्रम संवत -2078 आनंद 
अभिजीत मुहूर्त -11:44 a.m. से 12:27 p.m.
राहुकाल- 7:56 a.m. के 9:19 a.m.

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